खबरे आ रही हैं के भारत-पाकिस्तान के बीच नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर लगभग२ वर्ष के बाद बातचीत फिर से शुरू हुई है, लेकिन अब देखना यह होगा कि यह बातचीत दोनों देशों के रिश्तों में आई तना-तानी को कम कर पाती है या नहीं।
नदियों के पानी के बंटवारे के लिए बने स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) की सालाना बैठक नई दिल्ली में शुरू हो चुकी है। दो दिन की वार्ता 24 मार्च तक चलेगी। आयोग की पिछली बैठक 29-30 अगस्त, 2018 को लाहौर में हुई थी।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में की गई इंडस वाटर्स ट्रीटी के मुताबिक़, आयोग की बैठक हर साल कम से कम एक बार ज़रूर होनी चाहिए, एक बैठक भारत में, तो अगली पाकिस्तान में, लेकिन इस बार दो बैठकों के बीच का अंतराल ज़्यादा लंबा हो गया है। 2019 में आयोग के पाकिस्तानी आयुक्त एक टीम ले कर चिनाब नदी के घाटी में निरीक्षण के लिए चले गए थे और 2020 में आयोग की बैठक कोरोना वायरस महामारी की वजह से नहीं हो पाई थी। 2021 की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारतीय सिंधु आयुक्त प्रदीप कुमार सक्सेना कर रहे हैं और पाकिस्तानी टीम का नेतृत्व पाकिस्तान पीआईसी के आयुक्त सैयद मोहम्मद मेहर अली शाह कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इंडस वाटर्स ट्रीटी के अनुसार, सभी पूर्वी नदियों (सतलज, ब्यास और रावी) के पूरे पानी पर भारत का अधिकार है और सभी पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) के सारे पानी पर पाकिस्तान का हक़ है। इसके अलावा भारत को पश्चिमी नदियों पर सीमित रूप से पनबिजली परियोजनाएं बनाने का भी अधिकार है। भारत ने ऐसी दो नई परियोजनाओं पर काम शुरू किया है लेकिन पाकिस्तान इनका शुरू से विरोध कर रहा है। (
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