Tuesday, October 31, 2017

रोजाना खाएं मूंगफली और दिल और पेट की बिमारियों से बचें


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यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के शोधकर्ताओं के अनुसार रोजाना 85 ग्राम मूंगफली खाने वाले लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोख‍िम कम हो जाता है. खून में मौजूद हानिकारक ब्लड फैट को मूंगफली कम करने में मददगार होता है. 
दरअसल, खून में मौजूद ये फैट्स ही रक्त धमनियों में जमने लगता है और खून के प्रवाह में रुकावट आने लगती है और धीरे-धीरे धमनियां पूरी तरह से बंद हो जाती हैं, जिसकी वजह से स्ट्रोक या हार्ट अटैक आता है.

अगर आपको अक्सर पेट की समस्या रहती है या दिल से संबंध‍ित बीमारी का खतरा है तो रोजाना मूंगफली खाने की आदत डालें. यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया की हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि हर दिन मूंगफली खाने से दिल और पेट से संबंध‍ित बीमारी का खतरा कम होता है.
ऐसे में मूंगफली धमनियों को साफ रखने में मददगार होता है. यह धमनियों में वसा को जमने नहीं देता और इस तरह दिल और पेट दोनों ही सेहतमंद रहते हैं.

इसके अलावा मूंगफली में पाया जाने वाला Arginine नाम का एमिनो एसिड ब्लड प्रेशर को समान्य बनाए रखने में कारगर होता है. इसलिए अगर किसी को ब्लडप्रेशर की समस्या है तो उसके लिए मूंगफली खाना फायदेमंद साबित हो सकता है. 
अगर आपको मूंगफली से एलर्जी है तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही खायें.

स्तन कैंसर के रोगियों को कीमोथेरेपी से मिलेगा छुटकारा?


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स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं को अब दोबारा कैंसर हो जाने के डर से बार-बार कीमोथेरेपी कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जांच तकनीक विकसित की है जिसकी मदद से यह पता लग सकेगा कि रोगी को दोबारा कैंसर होने की संभावना कितनी है? इस जांच का नाम ऑनकोटाइप डी एक्स है जिसमें सर्जरी के वक्त निकाले गए ट्यूमर के नमूने की जांच की जाएगी। जांच के बाद कैंसर दोबारा होने की संभावना को दर्शाने के लिए एक से सौ के भीतर अंक दिए जाएंगे। यह टेस्ट हार्मोन के कारण होने वाले कैंसर के लिए असरकारक होगा। मालूम हो कि दुनिया में ज्यादातर महिलाएं हार्मोनल स्तन कैंसर से ही पीड़ित होती हैं। शोध में जर्मनी के बारह संस्थानों के चार हजार मरीजों का इस विधि से टेस्ट किया गया। यह टेस्ट स्तन कैंसर के साथ ही लसिका ग्रंथि के कैंसर से पीड़ित महिलाओं के लिए भी कारगर था। शोध में आए परिणामों से मालूम हुआ कि जिन मरीजों में कैंसर होने की संभावना सबसे कम थी उनमें से 98 फीसद बिना कीमोथेरेपी के भी पांच साल तक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर पाए। ’ आइएएनएस

आंत के कैंसर का पता लगाना अब होगा आसान


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अब आंत के कैंसर की जांच पलक झपकते ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की मदद से हो जाएगी। जापान के शोवा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने यह कंप्यूटरीकृत जांच तकनीक विकसित की है। इसमें एंडोस्कोपी की मदद से ली गई कोलोरेक्टल पॉलिप (बड़ी आंत के सबसे निचले हिस्से में ऊतकों की असामान्य वृद्धि) की तस्वीर का 500 गुना बड़ा रूप विकसित कर कैंसर का पता लगाया जा सकेगा। पॉलिप का अध्ययन करने के दौरान इसके चित्र को मेथिलीन ब्लू में रंगा गया ताकि इसकी 300 विशेषताओं का गहन अध्ययन किया जा सके। शोधकर्ताओं ने इस दौरान एआइ तकनीक से 250 पुरुषों एवं महिलाओं के 306 कोलोरेक्टल पॉलिप का अध्ययन किया, जिनमें नियोप्लास्टिक परिवर्तन (ऊतक का अप्राकृतिक रूप से बढ़ना ) देखे गए थे। इनमें से 86 प्रतिशत मामले में वो बीमारी का पता लगाने में सफल हुए। शोवा विवि के युचि मोरी ने कहा, ‘हमें मिले प्रमाण के बाद इस तकनीक का उपयोग चिकित्सकीय कार्यो में किया जा सकेगा। कैंसर का जल्द पता चल जाए तो इसका इलाज आसान हो जाएगा और हम कैंसर के कारण होने वाली मृत्यु को भी कम कर सकेंगे।’’ प्रेट्र 

Monday, October 16, 2017

RSS के आतंकी गुट गो रक्षकों ने गो पालक सुब्बा खान से 51 गायों को छीन लिया


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अलवर/जयपुर
राजस्थान के अलवर जिले में कथित रूप से एक मुस्लिम परिवार की 51 गायों को छीनने के मामले में अब नया मोड़ गया है। अलवर पुलिस ने इन गायों को बीजेपी नेता श्रीकृष्ण गुप्ता की गौशाला में रख दी हैं। उधर, मिओ गांव के लोगों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने गुप्ता के प्रभाव में आकर गायों को छीना और बंबोरा के गौशाले को दे दिया। 

45 वर्षीय सुब्बा खान अब अपनी गायों की रिहाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस बीच गुप्ता ने इस आरोप को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, 'रविवार को एक गाय की मौत हो गई थी और एक की हालत गंभीर है। पुलिस इन सभी गायों को मेरी गौशाला में ले आई। मैं गायों की रिहाई के लिए स्थानीय पुलिस या एसडीएम के आधिकारिक आदेश का इंतजार करूंगा।'
उन्होंने कहा कि खान को 3 अक्टूबर से 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से गायों के चारे और देखरेख आदि के लिए देना होगा। उधर, मेयो की पंचायत ने कहा है कि वे अलवर के कलेक्टर और एसपी से मुलाकात करेंगे और खान की गायों को तुरंत छोड़ने के लिए कहेंगे। पंचायत ने ये भी कहा है कि जो लोग जबरन गायों को लेकर गए हैं, उनके खिलाफ वे एफआईआर दर्ज करायेंगे। 

मेयो पंचायत के शेर मोहम्मद ने कहा कि वे किशनगढ़ बस के एसएचओ के निलंबन की मांग करेंगे जो बीजेपी नेता के कहने पर काम कर रहे हैं। इस बीच खान ने बताया कि गायों को छीनने की खबर छपने के बाद किशनगढ़ बस पुलिस ने उन्हें फोन किया और बातचीत के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया। खान ने बताया कि घर में मौजूद करीब 17 बछड़ों को उन्हें मजबूरी में बोतल से दूध पिलाना पड़ रहा है। उसने एक शपथ पत्र भी सौंपा है जिसमें लिखा है कि सभी गायें दूध दे रही थीं और उनके बछड़े उसके घर पर हैं।
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Thursday, October 5, 2017

डॉ. मुमताज ने ईजाद की ज़ीका,हेपेटाइटिस सी जैसी घातक बीमारियों से लड़ने वाली वैक्सीन

भारतीय वैज्ञानिक डॉ. मुमताज ने ईजाद की ज़ीका,डेंगू, हेपेटाइटिस सी जैसी घातक बीमारियों से लड़ने वाली वैक्सीन 
नई दिल्ली – बिहार के किशनगंज ज़िले के निवासी डॉ. मुमताज़ नैयर ने ज़ीका, डेंगू तथा हेपेटाइटिस आदि जानलेवा बिमारियों के वायरस की रोकथाम के लिए ब्रिटैन के यूनिवर्सिटी ऑफ साउथथेम्प्टन की प्रयोगशाला में टीका की खोज की दिशा में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। डॉ. मुमताज़ नैयर के इस अविष्कार को दुनियाभर के वैज्ञानिक एक क्रांतिकारी खोज बता रहे हैं जिससे उन्होंने बिहार ही नहीं बल्कि पुरे देश का नाम विश्व में ऊंचा किया है।
इस संबंध में ज्यादा जानकारी देते हुए डॉ. नैयर ने बताया कि उन्होंने अपनी टीम के साथ यूनिवर्सिटी ऑफ साउथथेम्प्टन की प्रयोशाला में पिछले पांच सालों से घंटों काम करने के बाद इस टिके को विकसित करने की दिशा में सफलता पाई है! उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि अगर हमारा प्रयोग सफल होता है तो यह दुनियाभर में मेडिकल साइंस के क्षेत्र में क्रांति ले आएगा और इससे विश्वभर के लाखों लोगों को इन लाईलाज बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है और उनकी जान बच सकती है।
डॉ. नैयर ने कहा कि उनकी टीम का अध्ययन विश्व के प्रतिष्ठित मेडिकल और साइंस जर्नल ‘साइंस इम्मियुनोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है। जिसमें शोद्यार्थियों ने शरीर के इम्मियुन सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) के मौलिक भाग नेचुरल किलर सेल्स (एनके सेल्स) कई तरह की जानलेवा बिमारियों के वायरस से लड़ने में और इनके इलाज़ में बहुमूल्य योगदान प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस शोध में उनकी टीम ने हेपेटाइटिस सी से ग्रसित 300 रोगियों के डीएनए का अध्ध्यन किया।  शोध में यह बात सामने आई है कि नेचुरल किलर सेल्स के एक रिसेप्टर KIR2DS2 की मदद से ज़ीका, डेंगू तथा हेपेटाइटिस सी के वायरस को निष्क्रिय किया जा सकता है।
डॉ. मुमताज नैयर ने बताया कि इनके इलावा उनकी टीम ने कई नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर के यह दिखाया कि एक ही टीका से कई वायरस का प्रतिरक्षा संभव है, उन्होंने कहा कि यह इसलिए भी दिलचस्प है कि हम वैक्सीन (टीका) डेवेलप करने के परंपरागत मॉडल को छोड़ मॉडर्न तरीके को ज़्यादा महत्व दे रहे हैं जिसमें वायरस कि कोट प्रोटीन को टारगेट न करके नॉन-स्ट्रक्चरल प्रोटीन NS3 हेलीकेज को टारगेट कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन नेचुरल किलर सेल्स पर आधारित होगा जो मनुष्य के प्रतिरक्षा तंत्र का मौलिक हिस्सा है! डॉ. नैयर ने कहा इस शोध के परिणाम से हम काफी संतुष्ट हैं, क्यूंकि में भारत का निवासी हूँ इसलिए मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि टिके के अविष्कार से देशवासियों को इन जानलेवा बीमारियों से छुटकारा मिलेगा।  वहीं डॉ. नैयर की शोध टीम के मार्गदर्शक प्रोफेसर सलीम खाकू ने कहा कि शोध के परिणाम काफी उत्साहवर्धक हैं लेकिन इसको प्रयोग में लाने से पहले इस प्रयोगशाला में कई तरह की परिस्थितियों में परिक्षण करना होगा !
बताते चलें कि अपने पीएचडी के दौरान  डॉ0 मुमताज नैय्यर ने  कालाजार,एचआईवी व कैंसर रोगों पर नियंत्रण हेतु एक बड़ी खोज की थी जो कि पांच वर्ष पूर्व  सितंबर 2012 में प्रकाशित हुआ था। ज्ञात हो कि डॉ. मुमताज नैयर इंग्लैंड के प्रसिद्ध साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय में पांच साल से भी अधिक से भी पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च एसोसिएट के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस,पुणे,भारत से उन्होंने इम्यूनोलॉजी में पीएचडी की डिग्री हासिल की। मास्टर ऑफ साइंस बायोटेक्नोलॉजी में जामिया हमदर्द,नई दिल्ली से किया, जबकि बीएससी बायोटेक्नोलॉजी जामिया मिलिया इस्लामिया,दिल्ली से ही किया।
बिहार के किशनगंज जिले के प्रखंड ठाकुरगंज मुख्यालय से करीब 10 किमी दूरी पर स्थित बेसरबाटी ग्राम पंचायत के करबलभिट्टा गांव के निवासी है।उच्च विद्यालय ठाकुरगंज में वर्ष 1996 को मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। 36 वर्षीय युवा वैज्ञानिक डॉ. मुमताज नैय्यर बताते हैं कि उस मुकाम में पहुंचाने में उनके मां और बड़े भाईयों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है।
अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए डॉ. मुमताज नैयर ने कहा कि बचपन में ही किसान पिता स्व. जहान अली की मृत्यू के बाद उनकी अम्मी और बड़े भाई मोहम्मद जैनुल आबिदीन व मुश्ताक अहमद के त्याग व परिश्रम से मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूँ। उनकी माँ की वर्ष 2006 में देहांत के बाद वो काफी टूट से गए थे पर मां-पिता के न रहते हुए भाइयों ने मेरे पढ़ाई-लिखाई में कोई कसर न छोड़ी।


Wednesday, October 4, 2017

मुस्लमान होने की सज़ा : '30 साल सेना में नौकरी की और बदले में मुझे 'विदेशी' होने का नोटिस थमा दिया गया


मोहम्मद अजमल हक

2016 में सेना के जूनियर कमीशन अफ़सर (जेसीओ) के पद से मोहम्मद अजमल हक रिटायर हुए थे. अजमल पर 'संदिग्ध नागरिक' का आरोप लगाते हुए कामरूप ज़िले के बोको स्थित विदेशी ट्रिब्यूनल की अदालत संख्या 2 ने यह नोटिस भेजा है.
विदेशी ट्रिब्यूनल ने इस संदर्भ में एक मामला (बीएफटी 1042/16) दर्ज किया है, जिसमें पहला पक्ष राज्य सरकार है.
इस नोटिस में मोहम्मद अजमल हक से कहा गया- ''कामरूप ज़िला पुलिस अधीक्षक ने आपके ख़िलाफ़ 25 मार्च 1971 के बाद गैर-क़ानूनी रूप से बिना किसी कागजात के असम में प्रवेश करने का आरोप दाख़िल किया है.
लिहाजा इसके द्वारा आपको सूचित किया जाता है कि विदेशी क़ानून 1946 की उपयुक्त धाराओं के अनुसार आपको क्यों विदेशी नागरिक के रूप में शिनाख्त नहीं किया जाए?
अगर इसके उपयुक्त कारण हैं तो अदालत में हाज़िर होकर लिखित जबाव दाख़िल कर आपकी बात के समर्थन में सबूत पेश करें. अन्यथा यह मामला एक तरफ़ा चलाया जाएगा.''
मोहम्मद अजमल हक 1986 में बतौर एक सिपाही सेना में भर्ती हुए थे और 2016 में वे जेसीओ के पद से रिटायर हुए.
भारतीय सेना में अपनी 30 साल की नौकरी के दौरान हक ने जम्मू एंड कश्मीर के कारगील से लेकर पंजाब से सटे पाकिस्तान की सीमा पर ड्यूटी की हैं.
मोहम्मद अजमल ने बीबीसी से कहा, ''30 साल सेना में नौकरी की और बदले में मुझे 'विदेशी' होने का नोटिस थमा दिया गया. मेरा कसूर बस इतना है कि मैं मुसलमान हूं.
सेना में रहते हुए मैंने दुश्मनों से हमेशा देश की रक्षा की और देश के लिए मरने को भी तैयार रहता था. जब से यह नोटिस मिला है,इतना दुख होता है कि मैं अकेले में बैठकर रोता हूं. मैं बहुत रोया. राष्ट्र के प्रति मेरा जो कर्तव्य है उसके लिए हमेशा समर्पित रहा हूं.''
हम चार भाई हैं. मैं सेना में था और मुझे पर ही 'संदिग्ध नागरिक' होने के आरोप लगा दिए गए. जबकि मेरी नागरिकता से जुड़े तमाम कागजात मेरे पास हैं.
साल 1966 की मतदाता सूची में मेरे पिता महबूब अली का नाम शामिल है. इससे पहले राष्ट्रीय नागरिक पंजी में भी हमारे परिवार का नाम है. अदालत में यह सबकुछ साफ़ हो जाएगा.
लेकिन देश की सेवा करने के बाद मुझे जिस कदर 'संदिग्ध नागरिक' बना दिया गया, इस बात की ज़िम्मेदारी कौन लेगा. इससे पहले 2012 में भी मेरी पत्नी को ऐसा ही एक नोटिस ट्रिब्यूनल ने भेजा था.
बाद में सारे कागजात कोर्ट को दिखाने पर मामले को वापस ले लिया. क्यों हमारी नागरिकता को हर बार निशाना बनाया जाता हैं?''
सेना की 633 ईएमई बटालियन से रिटायर हुए अजमल हक के संदर्भ में हरियाणा के हिसार में उनके सहकर्मी रहें एक लेफ्टिनेंट कर्नल ने अपना नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा कि हक जब पेंशन पर गए हैं तो उनके पास 30 साल का प्रमाणपत्र है. मेरे साथ उन्होंने लखनऊ यूनिट में काम किया और बाद में जब मैं हिसार आया तो मेरे सामने ही वे यहां से रिटायर हुए.''
इस मामले के संदर्भ में असम पुलिस महानिदेशक मुकेश सहाय ने कहा, ''नोटिस भेजने के काम की एक प्रक्रिया होती है. नोटिस देने के समय उसकी जो प्रक्रिया है कि एक जांच अधिकारी जाता है और पूछताछ करता है.
अगर किसी के ऊपर कोई शक है कि वह अवैध प्रवासी है तो उससे नागरिकता से संबंधित दस्तावेज़ मांगे जाते हैं.
उस समय अगर वह आदमी कोई दस्तावेज़ नहीं दे पाता है तो मामला पुलिस अधीक्षक के माध्यम से विदेशी ट्रिब्यूनल को भेज दिया जाता है.
इसके बाद कोर्ट से नोटिस जारी कर दिया जाता हैं. उसमें कोई अल्टीमेट नहीं है. अंतिम फ़ैसला तो ट्रिब्यूनल करती है. अगर उसमें एक-आध मामले ऐसे हो गए हो तो वह आदमी अपने भारतीय होने का सबूत दे देगा तो मामला तुरंत ख़त्म कर दिया जाएगा.''
पुलिस महानिदेशक ने आगे कहा कि अगर इस मामले में कोई जानबूझ कर बदमाशी कर रहा है और ऐसा मामला हमारे नोटिस में लाया जाता है तो हम तुरंत कार्रवाई करेंगे. इस मामले में 13 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
गुवाहाटी हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकिल हाफ़िज रशीद अहमद चौधरी ने कहा, ''इस पूरे मामले में पुलिस ज़िम्मेदार है. किसी भी व्यक्ति की नागरिकता से संबंधित जांच-पड़ताल में ऐसी लापरवाही कैसे हो सकती हैं.
विदेशी ट्रिब्यूनल से नोटिस उन्हीं को भेजा जा रहा है जिसपर संदेह किया जाता है. लेकिन यहां नोटिस सिर्फ बंगाली बोलने वाले मुसलमान और हिंदुओं को भेजा जा रहा है.
दरअसल विदेशी ट्रिब्यूनल में मामला बाद में आता है, पहले पुलिस के लोग ज़मीनी स्तर पर किसी व्यक्ति की नागरिकता से जुड़े दस्तावेज़ों की जांच करते हैं. ये लोग ठीक से पूछताछ नहीं करते हैं.
तभी तो चुनाव अधिकारी तक को नोटिस भेज देते हैं. ऐसा एक मामला अदालत में हैं. यह पूरी तरह ग़लत काम हो रहा है. किसी एक धर्म और भाषा के लोगों को परेशान किया जा रहा हैं.''
आईएमडीटी क़ानून को उस समय कोर्ट में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता सर्बानंद सोनोवाल ही थे जो आज असम के मुख्यमंत्री हैं.
इसी आदेश के अंतर्गत असम में कई विदेशी ट्रिब्यूनल स्थापित किए गए हैं, जो किसी भी सदिंग्ध व्यक्ति की भारतीय नागरिकता की स्थिति की जांच कर उनकी शिनाख्त करते हैं.
असम में पहले ऐसे विदेशी ट्रिब्यूनलों की संख्या 36 थी लेकिन कथित घुसपैठियों से संबंधित मामलों की संख्या में बढ़ोत्तरी को देखते हुए 2015 में ट्रिब्यूनलों की संख्या 100 तक बढ़ा दी गई.

"शाही खाना" बासमती चावल, बिरयानी चावल Naugawan City Center (NCC) (नौगावा सिटी सेंटर) पर मुनासिब दामों पर मिल रहे हैं।

White Shahi Khana Basmati Rice, Plastic Bag,  ₹ 75 / kg  शाही खाना बासमती चावल, NOORE JANNAT, GLAXY,NWAZISH बिरयानी चावल  Naugawan City Cent...