Friday, April 9, 2021

भारत में बीकीपिंग का कार्य कब शुरू हुआ? When did Beekeeping work start in India?


 क्या आपको मालूम है कि जिस शहद को आप खाते हैं, वह किस तरह से आप हासिल करते हैं? 

हम लोग जानते हैं कि मधुमक्खी  के जरिए से शहद हासिल होता है और मधुमक्खी छत्ता लगाकर जंगलों में पेड़ों पर अपनी सुविधा अनुसार अपने घर बनाती है और फूलों से शहद लाती है। पुराने जमाने में और आज के जमाने में भी शहद की मक्खी के छत्ते मधुमक्खी के छत्ते जो जंगलों में लगे रहते हैं या कभी कबार घरों में भी लग जाया करते हैं वह उसको तोड़कर शहद निकाल लेते है। 

लेकिन आज भी बहुत से लोग ऐसे भी होंगे कि जो यह  नहीं जानते कि "मधुमक्खी का पालन "(beekeeping) भी किया जाता है? जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मधुमक्खी मनुष्य के लिए एक प्रकृति  का अनमोल उपहार है जिसका ज़िक्र पवित्र क़ुरआन में भी किया गया है। और कुरान में, शहद को उपचार के रूप में वर्णित किया गया है  शहद का उपयोग प्राचीन काल से किया जाता रहा है और जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ रहा है, और मधुमक्खियों का ज्ञान बहुत बढ़ गया है। मधुमक्खी पालन के तरीके में बहुत बदलाव आया है।

भारत में 1880 में मधुमक्खी पालन की शुरुआत हिमाचल प्रदेश से हुई है।1930 में बिहार के पूसा में डॉक्टर घोष ने मधुमक्खी के पालन पर बहुत ज्यादा रिसर्च की। और उसके बाद आज हिंदुस्तान की हर विश्वविद्यालय हर संस्था , सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं में मधुमक्खी पालन पर जोर दे रही है। मधुमक्खी पालन का कारोबार करके लोग अच्छा खासा पैसा कमा रहे हैं और कमा सकते हैं। 



Sunday, April 4, 2021

Rahul Ghandhi प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे बड़ी प्राथमिकता लोगों को रोजगार देने की होगी।


 हार्वर्ड केनेडी स्कूल के अंबेसडर निकोलस बर्न्स के साथ बातचीत में राहुल गांधी ने कहा कि अगर वह प्रधानमंत्री होते तो वह विकास दर (ग्रोथ) की बजाय जॉब यानी नौकरियों पर फोकस करते। शुक्रवार को निकोलस बर्न्स के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि अगर वह प्रधानमंत्री होते तो विशुद्ध रूप से 'विकास केंद्रित' नीति की तुलना में रोजगार सृजन पर अधिक ध्यान केंद्रित करते।

यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलने पर उनकी आर्थिक नीति क्या होगी तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि वह नौकरियों के सृजन पर जोर देंगे। उन्होंने कहा, 'मैं केवल विकास-केंद्रित विचार से नौकरी-केंद्रित विचार की ओर बढ़ना चाहूंगा। मैं कहना चाहूंगा कि हमें विकास की जरूरत है, मगर उत्पादन, रोजगार सृजन (जॉब क्रिएशन) और वैल्यू एडिशन को आगे बढ़ाने के लिए हम सब कुछ करने जा रहे हैं।'

अगर वह प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाते हैं तो वे किन नीतियों को प्राथमिकता देंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा वक्त में अगर हमारी वृद्धि को देखें, तो हमारे विकास और जॉब क्रिएशन के बीच संबंध का प्रकार, वैल्यू एडिशन और उत्पादन के बीच होना चाहिए, ऐसा नहीं है। वैल्यू एडिशन को चीनी लीड करते हैं। मैं ऐसे किसी चीनी नेता से नहीं मिला, जो मुझसे कहता है कि मुझे नौकरियों की समस्या है। अगर मैं इसके ठीक बगल में जॉब नंबर नहीं देखता हूं, मेरे लिए 9 फीसदी आर्थिक विकास का कोई मायने नहीं रह जाता।कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश में संस्थागत ढांचे पर सत्तापक्ष की तरफ से पूरी तरह कब्जा कर लेने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा कि निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबला सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार संस्थाएं अपेक्षित सहयोग नहीं दे रही हैं। उन्होंने अमेरिकी के जानेमाने शिक्षण संस्थान 'हार्वर्ड कैनेडी स्कूल के छात्रों के साथ ऑनलाइन संवाद में असम विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के एक विधायक की कार से ईवीएम मिलने का भी उल्लेख किया। इस कार्यक्रम की मेजबानी अमेरिका के पूर्व राजनयिक निकोलस बर्न्स ने की

कांग्रेस की चुनावी असफलता और आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा, 'हम आज ऐसी अलग स्थिति में हैं जहां वो संस्थाएं हमारी रक्षा नहीं कर पा रही हैं जिन्हें हमारी रक्षा करनी है। जिन संस्थाओं को निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबले के लिए सहयोग देना है वो अब ऐसा नहीं कर रही हैं।' उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष की तरफ से संस्थागत ढांचे पर पूरी तरह कब्जा कर लिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि सत्तापक्ष से लोगों का मोहभंग हो रहा है और यह कांग्रेस के लिए एक अवसर भी है। कोरोना संकट और लॉकडाउन के असर पर कांग्रेस नेता ने कहा, 'मैंने लॉकडाउन की शुरुआत में कहा था कि शक्ति का विकेंद्रीकरण किया जाए,लेकिन कुछ महीने बाद केंद्र सरकार की समझ में आया, तब तक नुकसान हो चुका था।' अर्थव्यवस्था को गति देने के उपाय से जुड़े सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा, ''अब सिर्फ एक ही विकल्प है कि लोगों के हाथों में पैसे दिए जाएं। इसके लिए हमारे पास 'न्याय' का विचार है। उन्होंने चीन के बढ़ते वर्चस्व की चुनौती के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत और अमेरिका जैसे देश लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ ही समृद्धि और विनिर्माण क्षेत्र के विकास से बीजिंग की चुनौती से निपट सकते हैं। (इनपुट भाषा से भी) (Hindustan)

Friday, April 2, 2021

UP Covid19 - कक्षा आठ तक के स्कूल 11 अप्रैल तक बंद

 यूपी में कोरोना की दूसरी लहर से बढ़ रहे कोविड मरीजों को देखते हुए कक्षा आठ तक के स्कूल 11 अप्रैल तक बंद करने का आदेश सरकार ने जारी कर दिया है। स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने बताया कि प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है। गौरतलब है कि देशभर में कोरोना वायरस महामारी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। महाराष्ट्र सहित सात राज्यों में संक्रमण में जबरदस्त वृद्धि हुई है और सरकारों को सख्ती बरतनी पड़ी है। कोरोना के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर कई राज्यों में स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालयों समेत तमाम शिक्षा संस्थानों को बंद किए जाने की स्थिति में पहुंचा दिया है। कोरोना के घटते मामलों के बीच इन्हें खोला गया था। अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फरवरी महीने से शिक्षण संस्थानों को खोलना शुरू किया था, लेकिन अब फिर से बंद करना पड़ गया है। जबकि कई राज्यों में स्कूल और बोर्ड कक्षाओं की परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं।


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یوپی میں کورونا کی دوسری لہر سے بڑھتے کوویڈ مریضوں کے پیش نظر حکومت نے گیارہ اپریل تک کلاس آٹھ تک کے اسکولوں کو بند کرنے کا حکم جاری کیا ہے۔  ڈائریکٹر جنرل اسکول ایجوکیشن وجے کرن آنند نے بتایا کہ ریاست میں بڑھتے ہوئے کورونا انفیکشن کے پیش نظر یہ فیصلہ لیا گیا ہے۔  اہم بات یہ ہے کہ ملک بھر میں کورونا وائرس کے وبا کے کیسز میں مسلسل اضافہ ہورہا ہے۔  مہاراشٹر سمیت سات ریاستوں میں انفیکشن میں زبردست اضافہ ہوا ہے اور حکومتوں کو بھرپور طریقے سے کام کرنا پڑا ہے۔  کرونا کے بڑھتے ہوئے واقعات نے ایک بار پھر بہت سارے تعلیمی اداروں سمیت کئی ریاستوں کے اسکولوں ، کالجوں اور یونیورسٹیوں کو بند کردیا ہے۔  یہ کورونا کے کم ہوتے واقعات کے درمیان کھولے گئے تھے۔  بیشتر ریاستوں اور مرکزی علاقوں نے فروری کے مہینے میں تعلیمی اداروں کو کھولنا شروع کیا تھا ، لیکن اب اسے دوبارہ بند کرنا پڑا۔  جبکہ کئی ریاستوں میں اسکول اور بورڈ کی کلاسوں کے امتحانات منسوخ کردیئے گئے تھے۔

Thursday, April 1, 2021

मोदी सरकार ने महबूबा मुफ़्ती और उनकी मां के नए पासपोर्ट जारी करने के आवेदन को रद्द कर दिया है।

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भारत की केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ़्ती और उनकी मां के नए पासपोर्ट जारी करने के आवेदन को रद्द कर दिया है।

मुफ़्ती का कहना है कि भारत प्रशासित कश्मीर के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया है कि उन्हें और उनकी मां गुलशन आरा को पासपोर्ट जारी करने से देश की सुरक्षा और अखंडता ख़तरे में पड़ सकती है

याद रहे कि गुलशन आरा भारत के पूर्व गृह मंत्री और जम्मू-कश्मीर के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके मुफ़्ती मोहम्मद सईद की पत्नी हैं।

महबूबा मुफ़्ती प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार द्वारा कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के क़दम का विरोध कर रही हैं और कई महीनें हिरासत में रह चुकी हैं।

क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने एक पत्र लिखकर महबूबा मुफ़्ती को सूचित किया है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के आपराधिक जांच विभाग या सीआईडी की एक नकारात्मक रिपोर्ट के आधार पर पासपोर्ट के लिए उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया है।

61 वर्षीय महबूबा मुफ़्ती का कहना है कि वह और उनकी मां उमरा करने के लिए मक्का जाना चाहते हैं, इसीलिए उन्होंने पिछले साल दिसंबर में नए पासपोर्ट जारी करने के लिए आवेदन किया था।

मुफ़्ती ने पासपोर्ट कार्यालय द्वारा उनके आवेदन को ख़ारिज करने के बाद, अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था, लेकिन जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और उनके आवेदन को ख़ारिज कर दिया है। 



महबूबा ने ट्विटर पर मां का पासपोर्ट आवेदन रद्द होने की जानकारी देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, ‘सीआईडी ने दावा किया है कि मेरी मां जो अपने जीवन के सातवें दशक में हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इसलिए वह पासपोर्ट हासिल करने की अर्हता नहीं रखती हैं। भारत सरकार मुझे प्रताड़ित करने और उसकी बात नहीं मानने पर सजा देने के लिए बेतुके तरीके अपना रही है।’

धारा-6 (2)(सी) पर

पासपोर्ट अधिनियम की धारा-6 (2)(सी) के तहत तीन सूरतों में पासपोर्ट आवेदन अस्वीकार करने का प्रावधान है। पहला, अगर प्राधिकारियों को लगता है कि आवेदक देश के बाहर भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के प्रतिकूल गतिविधियों में शामिल हो सकता है या फिर उसके विदेश जाने से देश की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है। दूसरा, आवेदक का देश से बाहर रहना या फिर भारत के किसी मित्र देश के प्रतिकूल गतिविधियों में शामिल होना। तीसरा, केंद्र सरकार की ओर से यह राय देना कि पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज जारी करना लोकहित में नहीं है।

"शाही खाना" बासमती चावल, बिरयानी चावल Naugawan City Center (NCC) (नौगावा सिटी सेंटर) पर मुनासिब दामों पर मिल रहे हैं।

White Shahi Khana Basmati Rice, Plastic Bag,  ₹ 75 / kg  शाही खाना बासमती चावल, NOORE JANNAT, GLAXY,NWAZISH बिरयानी चावल  Naugawan City Cent...