क्या आपको मालूम है कि जिस शहद को आप खाते हैं, वह किस तरह से आप हासिल करते हैं?
हम लोग जानते हैं कि मधुमक्खी के जरिए से शहद हासिल होता है और मधुमक्खी छत्ता लगाकर जंगलों में पेड़ों पर अपनी सुविधा अनुसार अपने घर बनाती है और फूलों से शहद लाती है। पुराने जमाने में और आज के जमाने में भी शहद की मक्खी के छत्ते मधुमक्खी के छत्ते जो जंगलों में लगे रहते हैं या कभी कबार घरों में भी लग जाया करते हैं वह उसको तोड़कर शहद निकाल लेते है।
लेकिन आज भी बहुत से लोग ऐसे भी होंगे कि जो यह नहीं जानते कि "मधुमक्खी का पालन "(beekeeping) भी किया जाता है? जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मधुमक्खी मनुष्य के लिए एक प्रकृति का अनमोल उपहार है जिसका ज़िक्र पवित्र क़ुरआन में भी किया गया है। और कुरान में, शहद को उपचार के रूप में वर्णित किया गया है शहद का उपयोग प्राचीन काल से किया जाता रहा है और जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ रहा है, और मधुमक्खियों का ज्ञान बहुत बढ़ गया है। मधुमक्खी पालन के तरीके में बहुत बदलाव आया है।
भारत में 1880 में मधुमक्खी पालन की शुरुआत हिमाचल प्रदेश से हुई है।1930 में बिहार के पूसा में डॉक्टर घोष ने मधुमक्खी के पालन पर बहुत ज्यादा रिसर्च की। और उसके बाद आज हिंदुस्तान की हर विश्वविद्यालय हर संस्था , सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं में मधुमक्खी पालन पर जोर दे रही है। मधुमक्खी पालन का कारोबार करके लोग अच्छा खासा पैसा कमा रहे हैं और कमा सकते हैं।