शनिवार को चेन्नई में इंडिया टुडे साउथ कॉन्क्लेव में कांग्रेस पार्टी के नेता शशि थरूर ने मोदी सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों की आलोचना करने के आरोप में पत्रकारों के ख़िलाफ़ देशद्रोह, मानहानि और आतंकवाद निरोधक धाराओं के तहत केस दर्ज किए जा रहे हैं।
इससे एक दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने लोकतांत्रिक मूल्यों की निगरानी करने वाली एक स्वीडिश संस्था की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट किया था कि भारत अब एक लोकतांत्रिक देश नहीं है
स्वीडन की प्रमुख संस्था वी-डेम की हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में अब चुनावी लोकतंत्र नहीं बल्कि एक चुनावी तानाशाही है।
रिपोर्ट में मोदी सरकार द्वारा मीडिया पर प्रतिबंध, राजद्रोह और मानहानि जैसे क़ानूनों के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग का हवाला दिया गया है।
वी-डेम की रिपोर्ट कहती है कि भारत अब पाकिस्तान की तरह, चुनावी तानाशाही में बदल गया है। अब इसकी स्थिति पड़ोसी देशों बांग्लादेश और नेपाल से भी बदतर है।
हालांकि, सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता राम माधो ने विपक्षी दलों के नेताओं के इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया है और दावा किया है कि आज देश में हर किसी को अभिव्यक्ति की आज़ादी हासिल है। उनका कहना था कि देश में कई वेबसाइटें ऐसी हैं, जिनका काम सिर्फ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को गाली देना है। अब इससे ज़्यादा और कितनी आज़ादी चाहिए।
वी-डेम की रिपोर्ट में ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए विवादित क़ानून यूएपीए के दुरुपयोग का विशेष रूप से ज़िक्र किया गया है। रिपोर्ट का कहना है कि इस क़ानून को पत्रकारों और नागरिक समाज की आवाज़ का दबाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। मोदी सरकार संविधान के लोकतांत्रिक मूल्यों के ख़िलाफ़ काम कर रही है।
नागरिकता के नए विवादास्पद क़ानून सीएए का भी रिपोर्ट में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने सीएए का विरोध करने वाले छात्रों और प्रोफ़ेसरों को दंडित करने के लिए भी यूएपीए का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक़, सरकार ने जहां स्वतंत्र आवाज़ को दबाने के लिए सभी साधनों का इस्तेमाल किया है, वहीं हिंदुत्व वैचारिक संगठनों और उनके सहयोगियों को खुली छूट दे रखी है।
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