कोरोना के कारण लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ हिंसा में बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार वर्ष 2019 में घरेलू हिंसा के 2960 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2020 में इनकी संख्या बढ़कर 5297 हो गई।
आयोग के अनुसार, 2019 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 19,730 मामले दर्ज हुए। वर्ष 2020 में संख्या 23,722 हो गई। लॉकडाउन के एक साल बाद भी आयोग में हर महीने ऐसे दो हजार मामले दर्ज हो रहे हैं। इसमें से एक चौथाई घरेलू हिंसा के हैं। जनवरी से 25 मार्च 2021 तक घरेलू हिंसा की 1463 शिकायतें दर्ज हुई हैं। बीते साल 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुआ, तो घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं, भी प्रताड़ित करने वालाें के साथ फंस गईं। नतीजतन घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतों की बाढ़ आ गई।
अप्रैल 2020 से अब तक महिलाओं हिंसा के अपराधों की संख्या 25,886 है। इसमें से 5865 घरेलू हिंसा के हैं। सबसे हैरानजनक है कि छह साल में पहली बार वर्ष 2020 में हिंसा के सर्वाधिक 23,722 मामले दर्ज किए गए। इसमें से एक चौथाई मामले घरेलू हिंसा के हैं। ये आंकड़े वो हैं जो दर्ज हुए, बहुत से ऐसे मामले भी होंगे, जो रिकॉर्ड में नहीं आए।
जुलाई में रिकॉर्ड 660 केस दर्ज
लॉकडाउन के साथ घरेलू हिंसा के मामले बढ़े लेकिन जुलाई में रिकॉर्ड 660 मामले दर्ज किए गए। जून से ही हर महीने महिलाओं के प्रति हिंसात्मक मामलों की संख्या दो हजार हो गई थी इसमें से एक चौथाई मामले घरेलू हिंसा से जुड़े थे।
घरेलू हिंसा बढ़ने के कई कारण
आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा का कहना है कि आर्थिक असुरक्षा, तनाव का बढ़ता स्तर, घबराहट, वित्तीय चिंता के साथ परिवार से भावनात्मक सहयोग न मिलने के कारण भी ऐसे मामले बढ़े हैं। इस हालात में महिलाओं पर एक ही समय में दबाव बढ़ गया है।
Source- Amar Ujala
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