Monday, March 15, 2021

क्या हज़रत अली (अ स) ने हज़रत उमर व उस्मान का जमा कुरान को नकारा था ? वसीम रिज़वी की बातो में कितना दम

लेख - रियाज़ अब्बास आब्दी (रास) 

 आज पूरी दूनियाँ में मुसलमानों को दबाने और कमज़ोर करने के लिए दुश्मनों की नई नई साज़िशे देखने और सुनने को मिलती हैं, दुश्मने इस्लाम मुसलमानों को कभी दहशतगर्द (आतंकी) कहकर बदनाम करने की कोशिश करते हैं तो कभी पाक (पवित्र) कुरान मजीद के इल्म(शिक्षा) पर ऐतराज़ (आपत्ति) दर्ज कराते हैं, इसी दिशा में उत्तरप्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने सुप्रीमकोर्ट में पाक (पवित्र) कुरान की 26 आयात को पाक (पवित्र) कुरान से हटाये जाने के लिए याचिकी दी है वसीम रिज़वी का कहना है कि मुसलमानों के पहले और दुसरे और तीसरे खलीफा (अबुबकर,उमर,उस्मान र.अ) ने पाक (पवित्र) कुरान मजीद में रसूल अल्लाह (स.अ.व.ल) की वफात(मौत) के बाद 26 आयात को पाक (पवित्र) कुरान में दर्ज की गई है जिस के बाद पूरी दुनिया के साथ साथ हिंदुस्तान के तमाम मुस्लमान  इस फितने के खिलाफ गुस्से में है अलग अलग शहरों, कस्बों, गावो से वसीम के खिलाफ आवाज़े उठने लगी हैं| वसीम रिज़वी के भाई ने भी एक विडियो जारी कर के उनके बयान से अपने आपको वे परिवार के सभी सदस्यों को अलग कर लिया है|

वसीम रिज़वी ने जिस फितने को जन्म दिया है उससे कोई मुस्लमान इत्तेफाक नहीं रखता है हालाँकि वसीम का ताल्लुक शिया होने की वजह से शिया आलिम (विद्वान), आम और खास इस फितने पर बयान देने से पीछे नहीं हट रहें हैं|

इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है के वसीम रिज़वी ऐसे बयान, इस प्रकार की याचिका मौजूदा सरकार को खुश करने और खुद को सी बी आई की जाँच से बचने और मौजूदा सरकार में तख्तो ताज को पालेने की लालच ने इसको अँधा कर दिया है|

तमाम शियों का अकीदा(धारणा) है कि पवित्र कुराने मजीद में जरा बराबर भी तहरीफ़(Distortion) (विरूपण) नही हुआ है मौजूदा पवित्र कुराने मजीद बग़ैर किसी कमी बेशी के वहीं है जो हमारे आखरी रसूल अल्लाह हज़रत मोहम्मद (स अ व व स) पर आया था|

शिया मुसलमानों का ईमान (आस्था) है के मौजूदा पवित्र कुराने मजीद कामिल व मुकम्मल (परिपूर्ण व पूर्ण) है तमाम मुस्लमान इस बात को जानते है के पवित्र कुराने मजीद की शुआत बिस्मिल्लाह से होती है तो बिस्मिल्लाह की ب  से लेकर पवित्र कुराने मजीद के आखरी (अंतिम) शब्द वन्नास की س  तक हमारा ईमान (आस्था) है कि पवित्र कुराने मजीद के हरूफ(शब्द) कलमात आयात (वाक्य) सुरह(अध्याय) उतने की हैं जितने रसूल अल्लाह हज़रत मोहम्मद (स अ व व स) पर आया था| 

हमारा ईमान, अकीदे के हिसाब से पवित्र कुराने मजीद हर प्रकार के नुख्स (दोष) से पाक (पवित्र) है अल्लाह अपने पाक कुरान के (अध्याय) सुरह बकरा-2/2 में फरमाता (कह रहा) है के ‘यह वो किताब है जिसमें किसी प्रकार का शक (संदेह) नहीं है और परहेज़गारों(धर्मपरायण) के लिए हिदायत है’

उपरोक्त आयते इलाही से पता चलता है के पवित्र कुराने मजीद हर प्रकार के नुक़स(दोष) से पाक (पवित्र) है मौजूदा पाक कुरान में किसी भी प्रकार का बदलाव मुमकिन नहीं है|

 रसूल अल्लाह इरशाद(कहते) फरमाते हैं

जब तुम पर फितने व फसाद शब तारीक (अँधेरी रात) की तरह छा जाये तो उस समय पाक कुरान को मजबूती से थाम लो (उसकी शिक्षाओं पर कार्यरत रहो) क्यूंकि कुरान शफात (हिमायत- हिफाज़त) करने वाला है क्यूंकि कुरान शफात (हिमायत- हिफाज़त) रद (निरस्थ) नही होगी| (तफसीर साफी)

 रसूल अल्लाह का सन्देश/कथन इस बात की शिक्षा देता है के पवित्र कुरान हर प्रकार की परेशानियों को दूर करने वाला मन्त्र है इसका मतलब यही है के मौजूदा कुरान हर प्रकार के नुख्स(दोष) से पाक है|

 इमाम हज़रत अली (अ स) का कथन है कि यह पवित्र कुरान ऐसी नसीहत (ADVICE) देने वाला है जिसमें जरा बराबर भी खयानत (अविश्वासघात) की बू (गंघ) नहीं है,और ऐसी हिदायत (ADVICE) करने वाला है के हरगिज़ गुमराह नहीं करता है| यह एक ऐसा मुखबिर है जो कभी झूट नहीं बोलता| 

जो भी इस कुरान के पास बैठेगा वो इस हालत में इस के पास से उठेगा यातो उसके कमाल में बढ़ोतरी होगी या नुख्स (दोष) आ गया होगा,कमाल में बढ़ोतरी हिदायत (ADVICE)  की वजह से होती है और नुख्स (दोष) अंधेपन की वजह से होगा| (नहजुल बलागा)

इमाम हज़रत अली (अ स) के कथन से भी यह स्पष्ट है के पवित्र कुरान हरगिज़ गुमराह नहीं करता है| इसका अर्थ है की कुरान में किसी प्रकार का बदलाव नहीं हुआ है|

 इमाम हज़रत अली (अ स) का कथन जिस में हज़रत उमर व उस्मान ने पवित्र कुरान जमा किया है उसको उन्होंने सही बताया है इस कथन(हदीस) के माध्यम से वसीम रिज़वी को अपने सवाल का जवाब मिल जायगा|

इमाम हज़रत अली (अ स) ने तल्हा से पूछा के ऐ तल्हा जो पाक कुरान हज़रत उमर व उस्मान ने जमा किया है वो सारा(पूर्ण) है या इसमें ग़ैर कुरान भी है तल्हा ने जवाब दिया के वो सारा (पूर्ण) कुरान है, इमाम हज़रत अली (अ स) ने फ़रमाया (कहा) जो कुछ इसमें है अगर इस पर अमल करोगे तो नारे जहन्नुम (नरक) से निजात (मोक्ष) पा जाओगे और सीधे जन्नत (स्वर्ग) में जाओगे| तहकीक इस में हमारी हुज्जते है, हमारे हक का बयान है और हमारी इतात (आज्ञाकारिता) के फ़र्ज़ होने का जीकर है| (तफसीर साफी जिल्द अव्वल)

 जिस फितने को वसीम रिज़वी ने जन्म दिया है उसका पूर्ण (उत्तर) जवाब उपरोक्त हदीस है जिस में मोला इमाम अली अ स ने जिस पाक कुरान को हज़रत उमर व उस्मान ने जमा किया था उसको उन्होंने सही माना है और तो और हज़रत उमर व उस्मान द्वारा जमा कुरान पर अमल करने का हुकुम भी दिया है| क्यों की  जो पाक कुरान को हज़रत उमर व उस्मान ने जमा किया था वो कुरान वही है जो अल्लाह से आखरी नबी मोहम्मद स अ व व स पर आया था जिसमें 6666 आयते थी और रसूल की वफात के बाद भी 6666 आयते थी और आज भी 6666 आयते मौजूद हैं और जो इस का इंकार करेगा दायरे इस्लाम से ख़ारिज है|





 



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