सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर चुनाव आयोग को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा को सबसे अधिक मत मिलते हैं तो उस क्षेत्र के परिणाम रद्द कर दिए जाएं और नए सिरे से चुनाव कराए जाएं।
यह याचिका भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर की गयी है। याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि रद्द हुए चुनाव के उम्मीदवारों को नए चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाए।
वकील अश्विनी कुमार दुबे के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि न्यायालय यह घोषणा कर सकता है कि यदि 'इनमें से कोई नहीं (नोटा) को सबसे ज्यादा मत मिलते हैं, तो उस निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव को रद्द कर दिया जाएगा और छह महीने के भीतर नये सिरे से चुनाव कराए जाएं। इसके अलावा रद्द चुनाव के उम्मीदवारों को नए चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि कई बार राजनीतिक दल मतदाताओं से मशविरा किए बिना ही अलोकतांत्रिक तरीके से उम्मीदवारों का चयन करते हैं। इसीलिए कई बार निर्वाचन क्षेत्र के लोग पेश किए गए उम्मीदवारों से पूरी तरह असंतुष्ट होते हैं। याचिका के अनुसार, अगर सबसे अधिक मत नोटा को मिलते हैं तो इस समस्या का हल नए चुनाव से हो सकता है
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नोटा का अर्थ है- नन ऑफ द एबव, यानि इनमें से कोई नहीं। NOTA का उपयोग पहली बार भारत में 2009 में किया गया था। स्थानीय चुनावों में मतदाताओं को NOTA का विकल्प देने वाला छत्तीसगढ़ भारत का पहला राज्य था। NOTA बटन ने 2013 के विधानसभा चुनावों में चार राज्यों - छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान और मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में अपनी शुरुआत की।] 2014 से नोटा पूरे देश मे लागू हुआ।[कृपया उद्धरण जोड़ें]भारत निर्वाचन आयोग ने दिसंबर २०१३ के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में इनमें से कोई नहीं अर्थात `नोटा`(नन ऑफ द एबव) बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
2018 में नोटा को भारत में पहली बार उम्मीदवारों के समकक्ष दर्जा मिला। हरियाणा में दिसंबर २०१८ में पांच जिलों में होने वाले नगर निगम चुनावों के लिए हरियाणा चुनाव आयोग ने निर्णय लिया कि नोटा के विजयी रहने की स्थिति में सभी प्रत्याशी अयोग्य घोषित हो जाएंगे तथा चुनाव पुनः कराया जाएगा। हालांकि अभी भारत निर्वाचन आयोग ने इसे लागू नही किया है।
भारतीय आम चुनाव, 2019 में भारत में लगभग 1.04 प्रतिशत मतदाताओं ने उपरोक्त में से कोई नहीं (नोटा) के लिए मतदान किया, जिसमें बिहार 2.08 प्रतिशत नोटा मतदाताओं के साथ अग्रणी रहा।
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